sarkarinfo

Govt Jobs & Exams – Ek Jagah, Poori Jankari

ईरान-इज़राइल तनाव में तेजी: क्षेत्रीय अस्थिरता की दिशा में बढ़ते कदम

पश्चिम एशिया (Middle East) में ईरान और इज़राइल के बीच तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच रहा है। हाल की गतिविधियों में सैन्य झड़पों की आशंका, कूटनीतिक बयानबाज़ी और गुप्त अभियानों की सूचनाएं इस बात का संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच शांति की संभावनाएं क्षीण होती जा रही हैं। यह स्थिति न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि समूचे पश्चिम एशिया के लिए अस्थिरता का कारण बन रही है। यह लेख उसी तनाव की गहराई और प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।


हालिया घटनाक्रम

  1. सीरिया और लेबनान में इज़राइली हमले:
    इज़राइल द्वारा हाल ही में सीरिया और लेबनान के भीतर ईरान समर्थित ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। इन हमलों में हथियार डिपो, मिसाइल लॉन्चर और संचार केंद्रों को निशाना बनाया गया।
  2. ईरानी प्रतिक्रिया:
    ईरान ने इन हमलों की निंदा करते हुए कड़ा बयान जारी किया और जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए। ईरान की संसद और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से यह संकेत दिया गया कि इज़राइल की किसी भी सैन्य गतिविधि का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
  3. हिज़्बुल्लाह और हूती गतिविधियाँ:
    लेबनान स्थित हिज़्बुल्लाह और यमन के हूती विद्रोही, दोनों ही ईरान समर्थित संगठन, इज़राइल विरोधी गतिविधियों में सक्रिय हो गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में मिसाइल और ड्रोन गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं।

ईरान-इज़राइल तनाव में तेजी: क्षेत्रीय अस्थिरता की दिशा में बढ़ते कदम

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

ईरान और इज़राइल के संबंध 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से ही शत्रुतापूर्ण रहे हैं। इज़राइल का कहना है कि ईरान उसके अस्तित्व के लिए खतरा है, जबकि ईरान इज़राइल को एक अवैध राज्य मानता है और फिलिस्तीनियों के पक्ष में खड़ा रहता है।

  • 1979 के बाद संबंधों का विच्छेद
  • ईरान का परमाणु कार्यक्रम और इज़राइल की आपत्तियाँ
  • हिज़्बुल्लाह, हमास जैसे संगठनों का समर्थन

परमाणु कार्यक्रम पर विवाद

ईरान का परमाणु कार्यक्रम पिछले दो दशकों से अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय रहा है। इज़राइल का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है जबकि ईरान दावा करता है कि उसका कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।

  • IAEA की रिपोर्टों के अनुसार ईरान ने 60% तक यूरेनियम संवर्धन किया है।
  • इज़राइल ने कई बार ईरानी परमाणु संयंत्रों पर साइबर और गुप्त हमले किए हैं।
  • ईरान ने कहा है कि यदि उस पर हमला किया गया तो वह पूरे क्षेत्र को युद्ध में झोंक सकता है।

क्षेत्रीय प्रभाव

ईरान और इज़राइल के बीच तनाव का सीधा असर निम्नलिखित देशों और क्षेत्रों पर देखा जा रहा है:

  • सीरिया: ईरान समर्थित मिलिशिया की मौजूदगी और इज़राइली हवाई हमलों के कारण लगातार अस्थिरता।
  • लेबनान: हिज़्बुल्लाह की गतिविधियों में वृद्धि, जिससे सीमाई संघर्ष की संभावना बढ़ी।
  • गाजा पट्टी: हमास और इस्लामिक जिहाद को ईरान का समर्थन और इज़राइल की कार्रवाई।
  • यमन: हूती विद्रोहियों की मिसाइल तकनीक में सुधार और इज़राइल विरोधी बयान।

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: इज़राइल का समर्थन करते हुए ईरान पर प्रतिबंध और दबाव की नीति जारी रखी है।
  • रूस और चीन: दोनों देशों ने संतुलन की नीति अपनाई है लेकिन ईरान के साथ व्यापारिक संबंध बनाए हुए हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र: यूएन सुरक्षा परिषद ने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है।

संभावित परिणाम

  1. सीमित सैन्य संघर्ष:
    सीमित हवाई और ड्रोन हमलों की आशंका बनी हुई है, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।
  2. पूर्ण युद्ध की संभावना:
    यदि किसी बड़े सैन्य या परमाणु ठिकाने पर हमला होता है, तो यह पूरे क्षेत्र को युद्ध में धकेल सकता है।
  3. आर्थिक प्रभाव:
    तेल और गैस के वैश्विक बाजार में अस्थिरता आ सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
  4. शरणार्थी संकट:
    अगर स्थिति नियंत्रण से बाहर हुई, तो सीरिया, लेबनान और गाज़ा से बड़े पैमाने पर पलायन की स्थिति बन सकती है।

निष्कर्ष

ईरान और इज़राइल के बीच वर्तमान स्थिति केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बहुपक्षीय भू-राजनीतिक समस्या बन चुकी है। दोनों देशों की सैन्य तैयारी, गुप्त अभियानों और बयानबाज़ी से यह स्पष्ट है कि तनाव किसी भी समय एक बड़े संघर्ष में बदल सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को त्वरित कूटनीतिक प्रयासों द्वारा इस संकट को टालने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *